Connect with us

Uncategorized

आगे से राइट हीं क्यों?

बचपन में मेरे माँ -पिताजी ने कहा था बेटा हमेशा राइट ही चलना, जीवन भर यही कोशिश की है की राइट ही चलूँ इसलिए जब अपने जिंदगी के खट्टे मीठे कड़वे अनुभव आपके साथ में बांटने की बारी आई तो मैंने अपने साइट का यही नाम चुना “आगे से राइट!”

Published

on

बचपन में मेरे माँ -पिताजी ने कहा था बेटा हमेशा राइट ही चलना, जीवन भर यही कोशिश की है की राइट ही चलूँ इसलिए जब अपने जिंदगी के खट्टे मीठे कड़वे अनुभव आपके साथ में बांटने की बारी आई तो मैंने अपने साइट का यही नाम चुना “आगे से राइट!”

मेरे आलोचक मुझे कह सकते हैं की मैं एक विचारधारा का समर्थन कर रहा हूँ! लेकीन मैं उनसे पूछना चाहता हूँ , की क्या वो अपनी जिंदगी में आगे से राइट नहीं जाना चाहते? क्या वो चाहेंगे की जिन्हे वो प्यार करते हैं वो राइट की बजाय रॉन्ग टर्न ले लें ? और जिंदगी भर इसी नरेटिव की लड़ाई है की वाकई मे राइट क्या है!

शायद मुझे जो राइट लगे वो आपको रॉन्ग, लगे और मुझे जो रॉन्ग लगे वो आपको राइट लगे!
सवाल सिर्फ इतना है की बहस होनी चाहिए! बहस इस दिशा में की आने वाले समय के लिए हम वाकई आगे से राइट टर्न ले सकें! लेकीन ऐसा करते हुवे , हमारे विचारों में तो अंतर होगा लेकीन हम एक दूसरे के विचार या मत का सम्मान करेंगे! असली प्रजातन्त्र यही है और दुनिया के सबसे बड़े लोकतन्त्र में होने के कारण विचारों का आदान प्रदान होना ही चाहिए। पिछले लंबे समय से इस बात को लेकर देश में चर्चा है की पिछले लगभग एक हजार साल के इतिहास मे हमने कितनी जुल्म ज्यादीती और आक्रान्ताओं को झेला लेकीन फिर भी हम एक चट्टान की तरह अडिग खड़े रहे और आज अपनी हैसियत हमने कुछ इस ढंग से बना ली है कि दुनिया भी हमें बेहद सम्मान की नजरों से देख रही है


मैंने पूरी दुनिया भर से रिपोर्टिंग की है! चाहे वो वाशिंगटन का व्हाइट हाउस हो, या फिर न्यूयॉर्क का यूनाइटेड नेशन्स! लंदन की टेन डाउन स्ट्रीट हो या फिर द संस की युरोपियन यूनियन! रूस हो या फिर चीन
लेकीन भारत की सबसे बड़ी खूबी और ताकत ये है कि हम दुनीया का सबसे वाइब्रेंट प्रजातन्त्र! है और प्रजातन्त्र हमारे जड़ मे है!

मेरे हिसाब से दुनीया का सबसे बड़ा प्रजातन्त्र अमेरीका नहीं भारत है! प्रजातंत्र हमारे मूल मे है हमारे सभ्यताओं मे है! भगवान श्रीराम ने लंका पर विजय तो हासील की लेकिन वहाँ का राज-पाट भी विभीषण को देकर अयोध्या वापस लौट आए! हम युद्ध नहीं बुद्ध का देश है, सबसे पहले एस देश की सभ्यता और संस्कृति पर पहला हमला मुस्लिम आक्रान्ताओं ने किया उसके बाद ब्रिटिश भी आए

1947 मे आजादी भी मिली और भारत की ख़ूबी भी यही है यह पर हर कुछ किलोमीटर मे ख़ानपान रहन सहन पहनावा आर्किटेक्चर सबकुछ बदल जाता है फिर भी हम एक हैं। इस दुनिया की सबसे बड़ी आबादी होने के बावजूद भी हम एकता के इस बंधन मे बंधे हुए है हमारे पास तमिल और संस्कृत जैसी प्राचीन भाषा है तो हजारों साल का इतिहास भी शायद ही दुनिया मे कोई सभ्यता और इतनी पुरानी है की हममे से कुछ हमारी रग-रग मे बसी प्राचीन और इतिहास खूबियों को पहचानने और सम्मान देने के बजाय दूसरों का मुंह ताकते है

मेरे लड़ाई अपनों को न पहचान कर दूसरों को ताकतवर मानने वाले लोगों से है, लेकीन इतना जरूर बता दूँ की विमर्श तो अभी शुरू हुआ है! मैं अपनी तो कहूँगा ही आपकी भी सुनूँगा!

आईए खुली बहस हो!
आगे से राइट कोई प्रोपेगेंडा नहीं! लड़ाई बस सही दिशा मे जाने को लेकर है

Copyright © 2024 Aage Se Right