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नॉर्थ ईस्ट

नॉर्थ ईस्ट में क्या है चुनावी माहौल ?

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पिछले 10 सालों से नॉर्थ ईस्ट को लेकर राष्ट्रीय मीडिया में जितनी चर्चा हुई है, ऐसा इसके पहले कभी नहीं हुआ। पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद, केंद्र और नॉर्थ ईस्ट में जो तालमेल देखने को मिला है वह अभूतपूर्व है। यूं तो पूर्व PM मनमोहन सिंह खुद असम से राज्यसभा के सांसद थे और नॉर्थ ईस्ट पर बहुत ध्यान देते थे लेकिन इसके बावजूद नॉर्थ ईस्ट राष्ट्रीय मुख्य धारा से अछूता ही रहा।

पिछले 10 सालों से नॉर्थ ईस्ट को लेकर राष्ट्रीय मीडिया में जितनी चर्चा हुई है, ऐसा इसके पहले कभी नहीं हुआ। पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद, केंद्र और नॉर्थ ईस्ट में जो तालमेल देखने को मिला है वह अभूतपूर्व है। यूं तो पूर्व PM मनमोहन सिंह खुद असम से राज्यसभा के सांसद थे और नॉर्थ ईस्ट पर बहुत ध्यान देते थे लेकिन इसके बावजूद नॉर्थ ईस्ट राष्ट्रीय मुख्य धारा से अछूता ही रहा।

हाल ही के दिनों में त्रिपुरा और मेघालय के चुनाव पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी चर्चा रही। नॉर्थ ईस्ट के सारे राज्य भारत के लिए सामूहिक दृष्टि से बेहद ही महत्वपूर्ण है। जानकार मानते हैं PM मोदी कार्यकाल में नॉर्थ ईस्ट राज्यों का उल्लेखनीय विकास हुआ है। वैसे नॉर्थ ईस्ट राज्यों की परंपरा भी रही है कि, केंद्र में जिसकी सरकार होती है राज्यों में गठबंधन उसी के हिसाब से होता है। इसलिए Opinion Poll में भी बीजेपी इन राज्यों में मजबूत हुई है। ऐसा कम ही चुनाव में हुआ है कि नॉर्थ ईस्ट का कोई राज्य इतना बड़ा चुनावी मुद्दा बना हो ।मणिपुर में हुई हिंसा को 2024 लोकसभा चुनाव में INDI गठबंधन ने अपना सबसे बड़ा चुनावी हथियार भी बनाया हुआ है ।

नॉर्थ ईस्ट में अरुणाचल प्रदेश में 2, असम में 14, मणिपुर में 2, मेघालय में 2, मिजोरम में 1, नागालैंड में 1, सिक्किम में 1 और त्रिपुरा में 2 लोकसभा सीटें हैं। नॉर्थ ईस्ट की कुल लोकसभा की 25 सीटों में से 14 सीटों पर बीजेपी के पास है।

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